राहत/1200 मजदूरों को लेकर पटना पहुंची पहली ट्रेन,घर पहुंच कर मिला सुकून

लॉकडाउन के बीच देश के दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को लाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। कई दिनों से दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों ने शनिवार को जब अपने ठिकानों पर कदम रखे तो सुकून की सांस ली। इनके चेहरे पर न गुस्सा था न ही आक्रोश था। इन्हें सरकार से कोई गिला-शिकवा भी नहीं। हर किसी के मन में इसी बात की तसल्ली थी कि, जो भी हुआ, जैसा भी हुआ, कम से कम अपने घर तो आ गए।


जयपुर से मजदूरों को लेकर निकली पहली ट्रेन शनिवार दोपहर 2 बजकर 6 मिनट पर पटना के दानापुर रेलवे स्टेशन पहुंची। इसमें 1200 से अधिक मजदूर थे। प्लेटफॉर्म नं. 5 पर खड़ी हुई इस ट्रेन के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। प्लेटफॉर्म के रॉन्ग साइड पर भी पुलिस के जवान तैनात थे ताकि कोई यात्री दूसरी तरफ उतरकर कहीं चला न जाए।


डीएम, एसएसपी, एसपी समेत पुलिस और प्रशासन के कई बड़े अधिकारी मौजूद थे। यात्रियों को लाइन में एक दूसरे से दूरी बनाकर खड़ा किया गया और सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करवाते हुए ही स्टेशन परिसर से बाहर करवाया गया। स्टेशन के नजदीक की स्थित रेलवे स्कूल के परिसर में सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग हुई। यहां खाने का इंतजाम भी था। यहां से मजदूरों को उनके जिले के ब्लॉक में बने क्वारैंटाइन सेंटर तक बस से भेजा गया। मजदूरों को 21 दिन क्वारैंटाइन सेंटर में रहना होगा। इसके बाद ही अपने घर जा सकेंगे।


बेजान चेहरे, थके हुए शरीर बहुत कुछ बयां कर रहे थे
इन मजदूरों ने लॉकडाउन के 38 दिन कैसे काटे, यह उनके बेजान चेहरे और थके हुए शरीर को देखकर ही महसूस किया जा सकता था। लेकिन अपने राज्य में कदम रखते ही इन उदास चेहरों पर मुस्कान आ गई। खुशी इस बात की थी कि, आखिरकार जिंदा अपने घर पहुंच ही गए। लॉकडाउन में इन मजदूरों को काम ही नहीं मिला, इस कारण मजदूरी भी नहीं मिली।


थोड़े बहुत जो पैसे थे, उनसे कुछ दिन कट गए, बाद में तो खाने के भी लाले पड़े गए। इन्हीं में से किशनगंज के अशोक कुमार ने बताया कि, दो वक्त खाने की भी परेशानी हो गई थी। हमेशा बस मन में यही ख्याल रहता था कि कैसे भी अपने घर पहुंच जाएं, ताकि जिंदा रहें। जिस गांव में रहते थे, वहां के प्रधान से ट्रेन के बारे में जानकारी मिली। ट्रेन में खाने का इंतजाम भी सरकार की तरफ से किया गया था। किसी को टिकट भी नहीं लेना पड़ी। जयपुर में खाना मिला था, रास्ते में मिला।